लखनऊ। जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव अपने अंतिम पड़ाव कि ओर बढ़ रहा है, वैसे-वैसे सियासी दल अपने तरकश के सारे तीर आज़मा रहे हैं। कोई भी दल किसी भी सीट पर कोई कोर कसर छोड़ना नहीं चाह रहा है। छठे चरण में सुलतानपुर लोकसभा सीट के मतदान से तीन दिन पहले समाजवादी पार्टी ने खेला करते हुए क्षेत्र की इसौली विधानसभा सीट से विधायक रहे चन्द्र भद्र सिंह उर्फ़ “सोनू सिंह” और उनके भाई यशभद्र सिंह उर्फ़ “मोनू सिंह” को अपने पाले में कर लिया। इन दोनों ने मंगलवार को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व अखिलेश यादव से मुलाकात कर समाजवादी पार्टी में शामिल होने की घोषणा कर दी। पूर्व विधायक के शामिल होने से जहां एक ओर सपा को सुलतानपुर व आस-पास की लोकसभा सीटों पर फायदा मिल सकता है वहीं भाजपा से सुल्तानपुर की सांसद मेनका गांधी की मुश्किलें बढ़ने के आसार हैं। विशेषकर सुल्तानपुर की दो विधानसभा सीटों पर भद्र परिवार का खासा प्रभाव माना जाता है। साथ ही क्षत्रिय बिरादरी में उनकी गहरी पैठ के कारण आसपास की सीटों को भी वे प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।
“चन्द्र भद्र सिंह उर्फ़ “सोनू सिंह” सपा के टिकट पर सुल्तानपुर की इसौली विधानसभा सीट से विधायक रह चुके है। इनके पिता इन्द्र भद्र सिंह भी विधायक रह चुके हैं। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में चन्द्र भद्र सिंह सुलतानपुर से लोकसभा का चुनाव सपा-बसपा गठबंधन में बसपा के टिकट से लड़ चुके है। उस समय सोनू भाजपा की मेनका गांधी से महज 14526 मतों से हार गए थे”
सोनू सिंह व मोनू सिंह का इतिहास
वर्ष 2007 में सपा के सिम्बल पर इसौली विधानसभा सीट से जीत दर्ज चन्द्रभद्र सिंह पहली बार विधायक बने थे, लेकिन वह ज्यादा दिनों तक वह सपा में नहीं रह पाए। वर्ष 2009 में सपा से इस्तीफा देकर बसपा में शामिल हो गए। इसके बाद हुए उपचुनाव में वह विजयी हुए थे। वर्ष 2012 आते-आते उन्होंने बसपा को अलविदा कह दिया और पीस पार्टी के बैनर तले सुलतानपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़े। इसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा। बदलते राजनीतिक रुख को भांपते हुए चन्द्रभद्र सिंह वर्ष 2013 में बीजेपी में शामिल हो गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में वरुण गांधी की जीत में उनका अहम योगदान था। इस कारण उन्होंने चन्द्रभद्र को इसौली से अपना प्रतिनिधि नियुक्त किया था। इसके बाद सोनू 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले बसपा में शामिल हो गए। गठबंधन में यह सीट बसपा को मिली तो पार्टी ने उन्हें सुल्तानपुर से अपना प्रत्याशी बनाया। इस बार बेहद करीबी मुकाबले में सोनू को पराजित होना पड़ा। कुछ दिनों से सोनू के भाजपा या सपा में जाने की चर्चा चल रही थी, जिस पर बुधवार को मुहर भी लग गई। सोनू के पिता स्व. इन्द्रभद्र सिंह भी विधायक थे, जिनकी हत्या कर दी गई थी। वहीं, भाई यशभद्र सिंह मोनू प्रमुख रहे चुके हैं। साथ कई विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं।