लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की पूर्व विधायक मीता गौतम ने बसपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। मीता बसपा के गठन के समय से ही पार्टी से जुड़ी थीं। बसपा के गठन के बाद उन्होंने बसपा में शामिल होकर बहुजन समाज की लड़ाई लड़नी शुरू की थी। इन दिनों बसपा छोड़ने और पार्टी से नेताओं को निकालने का सिलसिला जारी है। बसपा से नाता तोड़ने वाली मीता गौतम ने दलित उत्पीड़न के खिलाफ लखनऊ और आसपास के जिलों में सड़क पर आंदोलन किया और उत्पीड़ित लोगों को न्याय दिलाने के लिए लंबे समय तक धरना-प्रदर्शन भी किया। जन आंदोलनों से जुड़े रहने के कारण पार्टी ने उन्हें 2007 में बाराबंकी जिले की कुर्सी विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया और वह वहाँ से विधायक चुनीं गईं, मीता गौतम ने इस सीट पर पूर्व आईएएस पीएल पुनिया को चुनाव हराया था। पुनिया जब मायावती मुख्यमंत्री थीं तो उनके प्रमुख सचिव हुआ करते थे, सेवनिवृत होने के बाद वे कांग्रेस में शामिल हुए और 2007 में कुर्सी विधानसभा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा, यहाँ इन्हें हार का सामना करना पड़ा और मीता गौतम ने इस सीट पर बसपा के प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल की और विधायक चुनीं गईं। इसके बाद उन्होंने बाराबंकी जिले को अपना कार्यक्षेत्र बनाया और वहाँ लगातार वंचित और शोषित समाज की लड़ाई लड़ती रहीं, हालांकि बसपा में जनसरोकार से जुड़े मुद्दों और शोषितों के उत्पीड़न खिलाफ सड़क पर आंदोलन की अनुमति नहीं है, बावजूद इसके मीता गौतम ने अपने को इन आंदोलनों से जोड़े रखा और 2022 में कुर्सी विधानसभा सीट पर एक बार फिर बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। 2022 में कुर्सी विधानसभा सीट सामान्य हो गई बावजूद इसके इस सीट से चुनाव लड़कर सम्मानजनक वोट हासिल किए और अपने को बसपा मूवमेंट से जोड़े रखा। मीता ने बसपा के प्रदेश अध्यक्ष को भेजे अपने त्यागपत्र में लिखा है कि वह निजी कारणों से पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहीं हैं। उन्होंने बातचीत के दौरान बताया कि अभी किसी भी दल में जाने का निर्णय नहीं लिया है। जल्द ही बहुजन समाज के हित को ध्यान में रखकर किसी अन्य दल में शामिल होंगे।
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