लखनऊ। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के यूपी की अमेठी या रायबरेली से चुनाव लड़ने को लेकर पिछले एक हफ्ते से चल रहा सस्पेंस आज खत्म हो गया। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को रायबरेली संसदीय सीट से अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। “द न्यूज कॉर्नर ” ने अपने पिछले माह के अंक में राहुल गांधी के रायबरेली से चुनाव लड़ने की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। अमेठी सीट से कांग्रेस के किशोरी लाल शर्मा ने अपना नामांकन दाखिल किया। आज दोनों सीटों पर नामांकन दाखिल करने का आखिरी दिन था। कांग्रेस के अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे, प्रियंका गांधी वाड्रा और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अमेटी के बाद रायबरेली में राहुल गांधी के नामांकन जुलूस में शामिल हुए। ये पहली बार है, जब राहुल गांधी रायबरेली सीट से चुनावी मैदान में हैं। रायबरेली सीट पर भाजपा ने दिनेश प्रताप सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है। पिछले लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी ने उन्हें हराया था। रायबरेली सीट पर साल 2004 से 2024 तक सोनिया गांधी सांसद रही हैं। इस बार सोनिया गांधी ने रायबरेली से चुनाव नहीं लड़ने का फ़ैसला किया था. सोनिया गांधी अब राज्यसभा सांसद हैं। वहीं अमेठी की सीट पर कांग्रेस ने किशोरी लाल शर्मा को चुनावी मैदान में उतारा है।
अमेठी सीट पर भाजपा की ओर से स्मृति ईरानी मैदान में हैं। पिछली बार स्मृति ने राहुल गांधी को अमेठी से हराया था। कांग्रेस से टिकट मिलने के बाद किशोरी लाल शर्मा ने कहा, ”मैं खड़गे जी का, राहुल जी का, सोनिया जी और प्रियंका का हृदय से धन्यवाद देता हूं. जिन्होंने मेरे जैसे छोटे कार्यकर्ता को अपनी पारिवारिक सीट की ज़िम्मेदारी दी है। वो बोले, मैं पूरी कोशिश करूंगा कि मैं मेहनत करूं. मैं 40 साल से यहां की सेवा कर रहा हूं। 1983 में कांग्रेस यूथ कार्यकर्ता के रूप में यहां आया था और लगातार तब से यहां काम कर रहा हूं। मुझे राजीव जी यहां लेकर आए थे और उसके बाद मैं यहीं रह गया। राहुल गांधी रण छोड़कर चले गए हैं? इस सवाल पर उन्होंने कहा- ‘राहुल गांधी रण छोड़ने वाले नहीं हैं, वो पूरे देश की लड़ाई लड़ रहे हैं। वो इस सीट से आज अपना नामांकन दाखिल करेंगे. किशोरी लाल रायबरेली के संसदीय क्षेत्र से सोनिया गांधी के प्रतिनिधि रहे हैं। किशोरी लाल शर्मा मूल रूप से पंजाब के हैं. वो 1983 में कांग्रेस कार्यकर्ता के तौर पर अमेठी आए थे। राजीव गांधी की मौत के बाद वो अमेठी सीट पर कांग्रेस के लिए काम करते रहे. जब गांधी परिवार 1990 के दौर में अमेठी की चुनावी राजनीति से दूर रहा, तब इस सीट पर किशोरी लाल शर्मा सक्रिय रहे थे। 1999 में सोनिया गांधी की पहली चुनावी जीत में किशोरी लाल शर्मा की अहम भूमिका बताई जाती है।
वैसे राहुल गांधी इस बार भी वायनाड सीट से चुनावी मैदान में हैं. इस सीट पर वोट डाले जा चुके हैं। 1999 के बाद यह पहला मौक़ा है, जब गांधी परिवार का कोई सदस्य अमेठी से चुनाव नहीं लड़ रहा है। साल 1999 में सोनिया गांधी ने अमेठी सीट से ही राजनीति में कदम रखा था। इसके बाद साल 2004 में सोनिया गांधी रायबरेली सीट से चुनाव लड़कर जीती थीं। इसी साल राहुल गांधी अमेठी सीट पर सांसद चुने गए थे। साल 2019 के अलावा अमेठी सीट पर कांग्रेस 1977, 1998 में भी हार चुकी है, तब इस सीट पर उम्मीदवार गांधी परिवार से नहीं थे। गुजांइश है तो वो (राहुल गांधी) यहां से चुनाव लड़ते। कांग्रेस की लिस्ट आने के साथ ही ये स्पष्ट हो गया कि प्रियंका गांधी वाड्रा इस बार चुनावी मैदान में नहीं होंगी। ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि वो इन चुनावों में अमेठी या रायबरेली से लड़ सकती हैं।
प्रियंका गांधी वाड्रा ने अमेठी सीट पर किशोरी लाल शर्मा को उम्मीदवार बनाए जाने पर सोशल मीडिया पर लिखा, ”किशोरी लाल शर्मा जी से हमारे परिवार का वर्षों का नाता है। अमेठी, रायबरेली के लोगों की सेवा में वे हमेशा मन-प्राण से लगे रहे. उनका जनसेवा का जज्बा अपने आप में एक मिसाल है। प्रियंका ने लिखा, ”आज खुशी की बात है कि किशोरी लाल जी को कांग्रेस पार्टी ने अमेठी से उम्मीदवार बनाया है। किशोरी लाल जी की निष्ठा और कर्तव्य के प्रति उनका समर्पण अवश्य ही उन्हें इस चुनाव में सफलता दिलाएगा।
कौन हैं किशोरी लाल शर्मा
दरअसल, किशोरी लाल शर्मा जिन्हें केएल शर्मा भी कहते हैं, गांधी परिवार के पुराने करीबी हैं। वह लंबे वक्त से रायबरेली में सोनिया गांधी के प्रतिनिधि भी रह चुके हैं। उनकी वकत इतनी है कि जब भी गांधी परिवार से जुड़े मामलों की बात आती है तो किशोरी लाल शर्मा रायबरेली और अमेठी में प्वाइंट-पर्सन होते हैं, यानि पार्टी के सबसे अहम शख्स। केएल शर्मा पंजाब राज्य के मूल निवासी हैं. पहली बार वह साल 1983 में कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में अमेठी आए थे. वह कांग्रेस नेता और पूर्व प्रधानमंत्री (दिवंगत) राजीव गांधी के साथ बेहद करीब से जुड़े रहे. अमेठी में ही रहकर वह पार्टी के लिए मजबूती से काम करते रहे और 1991 में राजीव गांधी के देहांत के बाद वह अमेठी में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए काम करते रहे। वह अन्य कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए प्रचार करते रहे। किशोरी लाल शर्मा ने 1999 में सोनिया गांधी के पहले चुनावी अभियान में अहम भूमिका निभाई थी। गांधी ने पहली बार अमेठी में जीत के साथ संसद में हस्तक्षेप किया।
अमेठी सीट का इतिहास
अमेठी और रायबरेली सीट को गांधी परिवार की सीट माना जाता है। फ़िरोज़ गांधी 1952 और 1957 में इस सीट से सांसद चुने गए थे. इंदिरा गांधी 1967 में रायबरेली से लड़कर लोकसभा पहुंची थीं। रायबरेली सीट पर इंदिरा गांधी 1971 में जीती थीं. हालांकि इमरजेंसी के बाद 1977 में वो इस सीट से हार गई थीं। 1980 में इंदिरा गांधी रायबरेली से फिर चुनाव जीती थीं. लेकिन इन चुनावों में वो आंध्र प्रदेश की मेडक सीट से भी चुनाव जीती थीं। अमेठी से गांधी परिवार की सियासी शुरुआत 1980 से हुई थी. तब संजय गांधी इस सीट से जीतकर संसद पहुँचे थे। संजय गांधी की मौत के बाद राजीव गांधी 1981 में इस सीट से संसद पहुंचे थे. वो अपनी मौत तक इस सीट से सांसद चुने जाते रहे। हालांकि 1991 से 1999 तक इस सीट पर गांधी परिवार का कोई सदस्य चुनावी मैदान में नहीं रहा।