अखिलेश ने विधानसभा से दिया त्यागपत्र, कौन होगा नेता प्रतिपक्ष?
लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2024 में समाजवादी पार्टी के शानदार प्रदर्शन करने बाद सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आज अपनी विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। ज्ञात रहे कि हालिया संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी 37 सीटें जीतकर यूपी की सबसे बड़ी पार्टी बनी है। इसी क्रम में अखिलेश यादव ने भी कन्नौज सीट से बड़ी जीत हासिल की है। ऐसे में जहां अखिलेश अब लखनऊ छोड़ दिल्ली में बीजेपी को घेरते नजर आएंगे तो वहीं विधायकी छोड़ने के साथ अखिलेश को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद से भी इस्तीफा देना होगा। ऐसे में विधान सभा में सत्ता पक्ष को घेरने का काम कौन कर सकता है, एक नजर उन चेहरों पर—
अखिलेश यादव के करहल सीट से इस्तीफा देने के बाद ‘सदन में विपक्ष का नेता कौन होगा? इस पर चर्चाओं का बाजार गरम है। सूत्रों के मुताबिक, अखिलेश यादव “पीडीए” फॉर्मूले के तहत तीन नामों पर दांव लगा सकते हैं, जिनमें शिवपाल यादव और इंद्रजीत सरोज का नाम शामिल है। शिवपाल यादव ओबीसी तो इंद्रजीत सरोज दलित बिरादरी से आते हैं। जानकारी के अनुसार, अखिलेश यादव नेता प्रतिपक्ष ऐसे शख्स को बनाना चाहते हैं जिससे पीडीए का साफ संदेश जनता तक पहुंच सके।
कौन होगा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष?
शिवपाल का नाम सबसे आगे
जसवंत नगर सीट से छह बार विधायक शिवपाल यादव का नाम रेस से सबसे आगे है। दरअसल 2009-2012 के बीच वे नेता प्रतिपक्ष रह भी चुके हैं। उनके कद का कोई नेता न तो सत्ता पक्ष में है और न विपक्ष में। उनके पास सरकार और संगठन दोनों का लंबा अनुभव है। उन्हें संगठन में ज़बरदस्त पकड़ के लिए जाना जाता है। इतना ही नहीं, वो लंबे समय से एसपी संस्थापक मुलायम सिंह यादव और समाजवादी नेता जनेश्वर मिश्रा के साथ काम भी किया है. वर्तमान में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव प्रदेश में अच्छी पकड़ रखते हैं।
जानकारों की मानें तो, अखिलेश शिवपाल को नेता प्रतिपक्ष बनाकर एक तीर से कई निशाने करना चाहते हैं। पहला, जो शिवपाल को लेकर बार-बार नाराज होने की खबर चलती है और जिस पर बीजेपी तंज कसती है, उन पर लगाम लगेगी। दूसरा, शिवपाल फिलहाल पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं, जिसका लाभ सदन में एसपी को मिलेगा। तीसरा, शिवपाल को ये पद देकर अखिलेश ये संदेश देने में सफल होंगे कि चाचा-भतीजे में तालमेल बेहतर है। चौथा, सदन में योगी आदित्यनाथ जैसे नेता के सामने, जो मझा हुआ राजनीतिज्ञ चाहिए, उसमें शिवपाल सबसे फिट भी बैठते हैं.
इंद्रजीत सरोज
इंद्रजीत सरोज ने 1985 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद राजनीति में कदम रखा। 1996 के विधानसभा चुनाव में वह मंझनपुर से पहली बार विधायक चुने गए। कई बार यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे सरोज मंझनपुर विधानसभा से अब तक चार बार विधायक रहे हैं। 2018 में बहुजन समाज पार्टी छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हुए इंद्रजीत सरोज की दलित समाज में अच्छी पकड़ मानी जाती है।
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