लखनऊ। सामाजिक संस्था “बहुजन भारत” ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा पिछड़े वर्ग की जातीय जनगणना का विरोध जताने पर हैरानी जताई है। संस्था मुख्यालय पर गुरुवार को हुई एक बैठक में संस्था के अध्यक्ष एवं पूर्व आईएएस कुँवर फतेह बहादुर ने कहा कि जातीय जनगणना से तो दलितों और पिछड़ा वर्ग की वास्तविक आबादी और उन्हें उनकी आबादी के मुताबिक शासन-प्रशासन में अभी तक जो भागीदारी मिल रही है, उसके बारे में वास्तविक तस्वीर देश के सामने आएगी और इससे ये भी पता चलेगा कि इन वर्गों को इनकी आबादी के मुताबिक शासन-प्रशासन और विभिन्न सरकारी विभागों में इनका प्रतिनिधित्व पूरा है या नहीं। उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना कराने से दलितों और पिछड़ों को मिलने वाले उनके अधिकार मुस्लिमों को कैसे चले जाएंगे, यह किसी के भी समझ से परे है। संस्था के अध्यक्ष ने कहा कि अभी तक सरकारी सेवाओं और शिक्षण संस्थानों में इनको दिए जा रहे आरक्षण के मुताबिक इनकी नियुक्तियाँ नहीं की गईं हैं और इनके स्थान पर सामान्य वर्ग के लोगों की नियुक्तियाँ केंद्र और यूपी सरकार ने कर रखी हैं।
कुँवर फतेह बहादुर ने कहा कि यूपी में पिछले साल शिक्षकों की नियुक्ति के दौरान राज्य सरकार ने लगभग साढ़े छह हजार पद दलितों और पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित थे, इन पदों पर भी सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को नियुक्ति दे दी गई, इन नियुक्तियों में क्या सरकार ने मुस्लिमों का चयन किया है, यदि नहीं तो फिर दलितों और पिछड़ा वर्ग का अधिकार मुस्लिमों के पास कैसे चला जाएगा भाजपा नेताओं को यह भी बताना चाहिए। जबकि इस प्रकरण को लेकर दलित और पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थी जिनका चयन इन आरक्षित पदों पर हुआ था, नियुक्ति ना मिलने के विरोध में आज भी आंदोलन कर रहे हैं। इसी तरह यूपी में ही विश्वविद्यालयों में कुलपति और प्रोफेसर से लेकर सहायक प्रोफेसरों से लेकर महाविद्यालयों में भी शिक्षकों की नियुक्तियाँ सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों से ही की जा रहीं हैं। सरकार और भाजपा को ये भी बताना चाहिए कि सारकारी संस्थाओं में आरक्षित पदों पर सामान्य वर्ग के लोगों की नियुक्ति करके ये सरकार किसका हक छीन रही है। क्या ये सरकार विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर पद पर दलितों और पिछड़ा वर्ग के बजाए मुस्लिमों को नियुक्त कर रही है? उन्होंने कहा कि पिछड़ा वर्ग की जातीय जनगणना के साथ ही इंडिया गठबंधन ने आर्थिक सर्वेक्षण कराने की भी बात कही है, आर्थिक सर्वे से इस बात का पता चलेगा कि देश के संसाधनों पर किसका कब्जा है, जिन वर्गों को इन संसाधनों का लाभ नहीं मिल पाया है उन्हें उनकी आबादी के मुताबिक सरकार बनने पर लाभ दिलाने की इंडिया गठबंधन ने बात कही है।
संस्था के अध्यक्ष ने कहा कि आखिर भाजपा जातीय गणना का विरोध क्यों कर रही है, इससे तो इस बात का पता चलेगा कि इन वर्गों के आर्थिक संसाधन और नौकरी कौन लोग ले जा रहे हैं। इसके विरोध से यह साफ है कि भाजपा नहीं चाहती है कि दलितों और पिछड़ा वर्ग के लोगों को उनके संवैधानिक अधिकार मिलें। इस मौके पर संस्था के महासचिव चिंतामणि ने कहा कि संविधान विरोधी ताकतों के खिलाफ बहुजन समाज के लोगों को एकजुट होना चाहिए। बैठक में संस्था के उपाध्यक्ष नन्द किशोर, संयुक्त सचिव कृष्ण कन्हैया पाल, नवल किशोर आदि ने भी अपने विचार रखे।