लखनऊ। देश के जाने माने उद्योगपति और विप्रो के चेयरमैन अज़ीम प्रेम जी को इलाहाबाद हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। उनके खिलाफ जारी जमानती वारंट को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खण्ड पीठ ने निरस्त कर दिया है। उच्च न्यायालय द्वारा अजीम प्रेमजी के विरुद्ध परिवाद की कार्यवाही, सशरीर उपस्थित होने के आदेश तथा जमानती वारंट को इस आधार पर निरस्त कर दिया गया है कि लखनऊ स्थित कंपनी GS-4 के कार्यालय के दिन प्रतिदिन के क्रियाकलाप में उनकी कोई भूमिका नहीं थी और न ही वह उनके प्रशासनिक नियन्त्रण में थी।
देश के जाने माने उद्योगपति अज़ीम प्रेम जी को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ से बड़ी राहत मिली है। विप्रो के चेयरमैन अज़ीम प्रेमजी के खिलाफ जारी ग़ैर जमानती वारंट को न्यायालय ने निरस्त कर दिया है।
माननीय उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जस्टिस शमीम अहमद की एकल बेंच ने एक निचली अदालत द्वारा अज़ीम प्रेम जी के विरुद्ध जारी सम्मन और जमानती वारंट निरस्त करते हुए अपने आदेश में कहा कि सम्बंधित न्यायालय द्वारा प्रकरण में संज्ञान लिए जाने के पूर्व अपराध के कोई भी कारण अथवा आधार दर्शाए नहीं गए । किसी कम्पनी के अधिकारी, निदेशक, प्रबंध निदेशक या अध्यक्ष आदि के किसी अपराधिक कृत्य में आपराधिक इरादे के साथ सक्रिय भूमिका को साबित करने के लिए पर्याप्त सामग्री होने पर ही आरोपी बनाया जा सकता है। तथा भारतीय दंड संहिता में परोक्ष दायित्व का कोई प्रावधान नहीं है ।